स्त्री
हिला देती है, पूरी कायनात को,
ऐसी है नारी शक्ति l
शिव भी अधूरा है,
बिन शक्ति के l
जिससे उत्पति हुई, पूरी कायनात की,
आधार है मानव जाति की l
देवी, चंडी, दुर्गा रूप है, बहुतेरे,
माँ,बहन,पत्नी, बेटी, प्रेमिका l
सब एक में ही समाते,
संसार के रिश्ते नाते l
दुःख, सुख, निराशा, प्यार,
घनघोर अंधेरा, प्रकाश l
सबको एक समझ लाकर,
करती सृष्टि का उध्दार l
नारी तू गहरा सागर है,
तुझमें करोड़ो तूफान छिपे है l
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