स्त्री
रो नहीं सकती मै,अश्कों को पीती हूं।
मै स्त्री हूं,सब कुछ ,आसानी से सहता हूं।
कभी बेटी, बहन , तो कभी, माँ बनती हूं ।
मै सभी के जज्बातों,का हिसाब बनती हूं
बिना कुछ कहे ,मैं अपनी धुन में जीती हू
मैं स्त्री हूं सब कुछ ,बड़ी आसानी से सहती हूं