स्त्री
चुप रहो तुम…
कई बार सुना मैंने
कहते हुए तुम्हें
खुली हवा में उड़ना
आजाद महसूस करना
जीवन की निशानी है
पर क्या तुम्हें पता नहीं
जिंदा जिस्म में मृत आत्माओं की
पर्यायवाची हैं हम स्त्रियां…?
~ सिद्धार्थ
मेरे शब्दों के आग में वो तपिश कहां जो
तेरी जात को जलन का मर्म बता दे
हम तो कोख से जलना सीख के आए हैं