“स्त्री हूँ”…
हाँ कभी…
जन्मदात्री,ममतामयी,
ज्ञानदायिनी,लक्ष्मीस्वरूपा,
करूणामयी,इत्यादि
से “पूजते”….
तो कभी…
कुलटा, कुलक्षिणी,
कुलनाशिनी,चरित्रहीन,
इत्यादि से
“निन्दा” और “तिरस्कृत”
करते ….
ऐसा क्यों…?
अरे न..ना..ना..
नही चहिए..हाँ नही चाहिए,
कोई नाम मुझे….
रहने दो,
हाँ रहने दो…
केवल मुझे,
“स्त्री”
हाँ यही अस्तित्व मेरा,
यही पहचान मेरी,
दे दो इतना सा,
बस इतना सा,
“मान”.. मुझे..
हाँ स्त्री सा.. “सम्मान” मुझे..
-अर्चना शुक्ला “अभिधा”