स्त्री संयम में तब ही रहेगी जब पुरुष के भीतर शक्ति हो
हम जानते हैं कि स्त्री कोमलता,प्रेम, माधुर्य और श्रृजन और पुरुष शक्ति, साहस, विनाश और बल का प्रतीक है।
पुरुष किसी महिला या स्त्री पर हमेशा ही अपना तन,मन और धन देने के लिए न्योछावर रहते हैं।
वो पुरुष को महिला नाम मात्र सम्मान नहीं करती हे।
प्रारंभ से ही महिला पर पुरुषों ने अपना आधिपत्य स्थापित किया है और आज के कुछ पुरुष उनसे प्रेम करने की भूल कर लेते है जिससे वो महिला उसे पति परमेश्वर तो घर का पशु भी नहीं मानती ।
अतः अगर आप पुरुष हैं तो पहले शक्तिमान बनिए और थोड़ा अहंकारी अपने भय का 1/10 भाग दिन प्रति दिन उसे एहसास कराते रहें ताकि वो आपसे आधुनिकता के नाम पर दुर्व्यवहार ना करें और आपके समझ सौम्यता से पेश आए इसका मतलब ये नहीं की आप स्त्री पर जुल्म करे बस उसे अपने पुरुष होने का एहसास कराते रहें।
आगे जारी है….