स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
और अगर दिल से भी सुन्दर हो स्त्री तो उसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते है .
पुरुष का सौंदर्य उसके चेहरे पर तब उभरता है जब वह अपने साहस और बुद्धि के बल पर विपरीत पारिस्थियों को भी अनुकूल कर लेता है .
गांव के बुजुर्ग कहते है पुरुष की प्रतिष्ठा उसकी स्त्री तय करती है और स्त्री का सौंदर्य उसका पुरुष .
दोनों के बीच समर्पण हो तभी उनका व्यक्तित्व निखर कर आता है और जहां समर्पण हो वहाँ प्रेम स्वतः ही दस्तक दे देता है.