स्त्री का होना
रसोईघर में
बर्तन खड़खड़ाते हैं
बड़ी,पापड़,अचार
डाले जाते हैं,
पूजाघर में
घंटी बजती है
दीप जगमगाते हैं,
घर के किसी कोने से
पकवानों की खूशबू आती है,
तो कहीं से
चूड़ियों के खनखनाने की
पायल के छनछनाने की,
और कहीं से
डाँट की आवाज आती है
तो घर ,घर मालूम होता है,
सच है
स्त्री के होने से ही
तो घर, घर मालूम होता है