स्त्री का बल, स्त्री का संबल।
स्त्री का स्त्री के लिए रुकना जरूरी है,
जीवन के इस पथ पर साथ चलना जरूरी है।
सामर्थ्य की मशाल थामे, बढ़े कदम मिलाकर,
परिवार की सफलता के लिए, हर आंधी को टकराकर।
जब एक स्त्री दूसरी का बल बनती है,
तब कठिनाई भी सरलता से कटती है।
सपनों की उड़ान हो, या संघर्ष का मैदान,
एक-दूसरे का सहारा बन, पार करें हर तूफ़ान।
सामर्थ्य की शक्ति जब संगिनी बन जाए,
हर परिवार की सफ़लता की नयी कहानी लिख पाए।
जब स्त्री के साथ स्त्री का हाथ हो,
तो हर बाधा, हर अंधकार में भी उजास हो।
साथ चलें, साथ बढ़ें, ये जीवन की यात्रा,
स्त्री का संबल बनें, ये हो हमारी साधना।
सामर्थ्य का संदेश, हर दिल में जगाना है,
स्त्री का स्त्री के लिए, एक नया इतिहास बनाना है।