स्त्रियां
✍️प्रकृति में समाया परिवार
स्त्रियां! 💃
रोप दी जाती हैं धान सी
उखाड़ दी जाती हैं,
खरपतवार सी
पीपल सी कहीं भी उग आती हैं।
स्त्रियां!💃
जीवन दायी अमृता सी,
महके लंबे समय तक,
रजनीगंधा सी
कभी ना हारें,अपराजिता बन छाई हैं
स्त्रियां!💃
रजनीगन्धा, लिली
जैसे यौवन ने ली अंगड़ाई है
सप्तपर्णी के फूल से
प्रेम माधुर्य की खुशबू आई है।
स्त्रियां!💃
आंसुओं को पी,
बिखेरती खुशबू पारिजात सी
पुनर्नवा सी,
ईश्वर की वरदान बन आई है।
स्त्रियां!💃
दिल दिमाग की शांति,
शंखपुष्पी, ब्राह्मी सी
तुलसी सी पावन
आंगन की शोभा बढ़ाई है।
स्त्रियां!💃
सौम्यता मनभावन
चंपा,चमेली,मोगरा,मालती सी
भरदेती सुखसौभाग्य,अमलतास(स्वर्ण वृक्ष) सी
घर आंगन में मानो,परी उतर आई है।💃
___मनु वाशिष्ठ