स्त्रियां सीख लेती हैं
स्त्रियां सीख लेती हैं
बचपन के दहलीज पे ही
संभलना और संभालना
अपना टूटना, बिखरना भी
सब कुछ सीख लिया था मैंने भी …
स्त्री हूं न … स्त्रित्व के प्रवेश द्वार पर ही
हमारे स्त्रीत्व ने कहा था हमें
संभाल लेना पहली शर्त है स्त्री होने का …
अमरबेल सी स्त्रियां
बिना सहारे के फूलती फलती ही नहीं
सम्बन्धों के वृक्ष में झूल कर ही पाती हैं
बचपन, यौवन और प्रौढ़ अवसान
सदा से रही हैं … परजीवी स्त्रियां
~ सिद्धार्थ