स्तम्भकार
जिनको करने सवाल थे ,
वो तो चाटुकार थे ,
नौकरी हत्थे चढ़ी है, चाकरी के
भर्तीयों में चर्चे बहुत हैं, धान्धली के,
सिलसिले वार क्या लिखें,
पन्ने बचे हैं कुछ आखिरी के ,
साफ कितना कह दिया है!
मुद्दे नहीं है हम उनकी टोकरी के,
ठूसना चाहते हैं वो हमको ,
वोटों की पोटली में ,