श्रद्धा के नाम पर ढकोसले —रस्तोगी
घर में माँ-बाप को झिडकी देते
फिर भी वे तुमको आशीर्वाद देते
मंदिर में मूर्ति के आगे गिड़गिड़ाते
मूक है वे कुछ बोल नहीं पाते
मंदिर के बाहर भिखारी खड़े है
मंदिर के अंदर भक्त खड़े है
फर्क है केवल तुम दोनों में
भिखारी तुमसे,तुम भगवान से
दोनों ही माँगने के लिए खड़े है
ठण्ड से बन्दा काँप रहा हे
कपड़े तुमसे माँग रहा है
पर उसको कपड़े दे नही रहे हो
सडक किनारे जो मजार बना हुआ है
उस पर चादर तुम उढा रहे हो
मंदिर में मूर्ती पर तुम दूध चढ़ाते
कुछ बच्चे दूध के लिए मर जाते
यही दूध नाली में बेकार बह जाता
अच्छ था वह बच्चो को मिल जाता
कैसे हम सब ढकोसले कर रहे है ?
श्रधा के नाम पर पुन्य कमा रहे है
वैसे तो देश का विकास कर रहे है
पर मानवता को पीछे धकेल रहे है
आर के रस्तोगी
मो 9971006425