सौ पल में एक पल चुराना
सौ पल में एक पल चुराना
तेरा वो मुस्कुराना
खुशी से झूम उठती
दिल तेरा रूप चूम लेती है।
गवाह हैं वो ठिकाना
जहां की वो सारी बातें,
वो मुलाकाते
सौ पल में एक पल चुराना
तेरा वो मुस्कुराना
खुशी से झूम उठती
दिल तेरा रूप चूम लेती है।
हम दोनों संग हो ।
फिर कहता रहे जमाना
मुझे तेरा प्यार हैं पाना
रहे उम्र – भर तेरे दिल में मेरा ठिकाना
सौ पल में एक पल चुराना
तेरा वो मुस्कुराना
_ डॉ. सीमा कुमारी
,बिहार, भागलपुर ,दिनांक-5-4-022 की मौलिक स्व रचित रचना है जिसें आज प्रकाशित कर रही हूं।