सौतियाडाह
जब ‘फीलगुड’ फैक्टर हुआ फेल
चुनाव परिणाम भी चौकाया
तो मात खाये दल ने
सोनिया गांधी के
विदेशी मूल का होने का मुद्दा उठाया
सब मनसूबे गढ़ रहे थे
माननीय मुलायम जी भी
कल्पनाओं में पीएम की कुर्सी पर चढ़ रहे थे
पर कांग्रेस आई में कुछ खास था
ज्यादा सीटें हासिल थीं
मन में एक उल्लास था
तभी जोर पकड़ा
सोनिया गांधी के
विदेशी मूल का होने का नारा
दुश्मन तो दुश्मन
कुछ दोस्तों ने भी ललकारा
तब मैंने एक कांग्रेसी नेता से कहा—
भाई साहब आगे आइए
वर्तमान स्थिति पर कुछ बतलाइए
मित्र पहले तो हकलाए
फिर रवानी में आए—
वे लोग
जो देशी होने का दावा झाड़ते हैं
उतरते हैं विदेशी के खिलाफ और
गरीब असहायों का सीना फाड़ते हैं
सब जानते हैं—
बच्चे का नाम
मॉं-बाप की मानसिकता बतलाती है
फिर जो ‘जार्ज’ हैं ‘फॉरेन’ हैं ‘डीज’ हैं
उनके मूल के संबंध में
जनता कहॉं कुछ सोच पाती है
जिसे वे विदेशी कह रहे हैं
भारतीय बेवा है
बेवा की जिंदगी जी रही है
इनके जैसों के बीच रहकर
खून के घूॅंट पी रही है
यह विदेशी है पर ‘बोफोर्स’ है
दुश्मन पर फूटेगी
लेकिन इनकी दुनालियाॅं
बोल रही हैं
त्यागपत्र देने की, सिर मुंडवाने की
वो अपनों को उजाड़ेंगी, उन्हें ही कूटेंगी
इन्हें जनता ने, कुर्सी से पटक दिया है
इसलिए आह है
सौतें नहीं हैं, फिर भी सौतियाडाह है
त्याग की मूर्ति ने इनके मनसा को भाॅंपा
भावी दंगों को ताड़ गई
देश में बेवाओं की संख्या और न बढ़े
इसलिए पीएम पद का दावा छोड़ दिया
और विरोधियों के मुख पर ताला मार गई।