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1 Jun 2023 · 1 min read

सौंप कर तुमको भावों की मंदाकिनी ,,

सौंप कर तुमको भावों की मंदाकिनी ,,
मैं तो बैठा रहा तट के उस और ही ,
भाव संयम नियम आज अवरोध हैं ,
मैं तो कहता रहा बात बदलाव की ।

प्रीति शर्तों के आगे कुछ कह न सकी,
मैं तो लिखता रहा बात स्वीकार की ।

अनकहे अनछुए प्रश्न शामिल रहे,
मैं तो हंसता रहा बात बिन बात की ।

बात ही बात में बात बढ़ सी गयी,
कोई समझा नहीं बात किस बात की।

मौन इतना हठी,अब समझ के परे
भाव झुलसे ,हुई बात नुकसान की ।

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