सौंदर्य प्रियतमा की
सुब्ह लिखूं, शाम लिखूं
जी चाहता हैं बेआराम लिखूं
तेरे सर से पांव तक
तुझे पूरी क़ायनात लिखूं
मद्धम- मद्धम पग वाली
हिरणी सी तेरी चाल लिखूं
तेरे गोरे गोरे पांव में
छनकती पायल की झंकार लिखूं
पतली सी कमर पर तेरे
करघनी की मीठी धुन लिखूं
बदन की तेरी खुशबू को
जी चाहता है गुलाब लिखूं
तेरी लंबी लंबी कुंतल को
काली घनेरी घटा लिखूं
तेरे गोरे गोरे गालों पर
थोड़ी सी रतनार लिखूं
मंजुल सी तेरी दृष्टि को
मृग नयनी आकार लिखूं
पतली सी तेरी अधर को
गुलाबी रसिक ज़ाम लिखूं
तेरी चौड़ी सी ललाट को
सूरज की ओज लिखूं
तेरे माथे पर उस बिंदी को
सौंदर्य की चार चांद लिखूं
कोमल सी तेरी कलाइयों में
खनकती चूड़ियां हज़ार लिखूं
तेरी नाक की नथनी पर
अटका हुआ अपना दिल लिखूं
कान की तेरी बाली पर
अपना दिल हार लिखूं
अब और क्या क्या लिखूं
सोचता हूँ तुझे अपनी संसार लिखूं।
Er. M. Kumar. ………✍️poet