Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Mar 2022 · 3 min read

“सोशल मीडिया के रूठे लोग शायद ही मिलते हैं “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
==========================
पहले मित्रता के अटूट बंधन नहीं टूट पाते थे ! बहुत ठोक -बजाके मित्रता के पायदानों पर आरूढ़ होते थे ! अपने पड़ोस के कुछ मित्र बन जाते थे ! कुछ क्लासों में दोस्त बन जाते थे ! कोई खेल के मैदानों में , तो किसी का साथ एक्सट्रा- कर्रिकुलर गतिविधियों में हो जाता था ! इन मित्रता में कुछ बातें ऐसी होती थी जो मित्रता के स्तम्भ माने जाते थे !

मुख्यतः चार स्तंभों के सहारे मित्रता की इमारत खड़ी होती थी ! विचारों में समान्यता ,सहयोग की भावना ,आपसी मिलन और गोपनियता का पालन के स्तंभों पर हमलोगों की मित्रता टिकी रहती थी ! मजाल है कोई सुनामी या भूकंप हमारी मित्रता को हिला दे ?

हाँ यदाकदा कभी कभार यदि हम रूठ जाते थे तो हम मानना भी जानते थे ! रोते को हँसाना भी जानते थे ! हम कभी -कभी अपने मित्रों की अनुपस्थिति से चिंतित हो जाते थे !हमारी व्यग्रता हमें उनके घर तक ले जाती थीं ! हम उनके परिवार को अपना परिवार समझते थे ! हमें सब स्नेह करते थे !

समय के परिवर्तनों के साथ हम एक दूसरे से दूर हो जाते थे पर उनकी यादें हर पल सँजोये रखते थे ! अब युग बदलने लगा ! मित्रता की परिभाषा बदल गई ! नए यंत्रों ने मित्रता का एक नया नाम दे दिया ! उसे ” डिजिटल मित्रता ” कहते हैं ! इन मित्रता के इमारत में ना कोई स्तम्भ है ! इसकी विशेषता मात्र संख्या पर आधारित है ! कहने के लिए हम सम्पूर्ण विश्व से जुडने लगे पर बिडंबना तो देखिये हम इतने करीब आ कर भी अपने को सुनसान मरुस्थल में भटक रहे हैं !

कुछ अपने परिचित लोगों को हम भलीभाँति जानते हैं पर अधिकांश लोगों को हम जान नहीं पाते ! उनके मनोभाव ,उनकी चाहत ,उनका रुझान और उनके व्यक्तित्व को हम ना जानते हैं ना जानने की कोशिश करते हैं ! कोई जुड़ गया तो उत्तम कोई बिछुड़ गया तो क्या गम ?

बस यहाँ विचारों की अहमियत होती है ! आप यदि लक्ष्मण रेखा को लाँघेंगे तो आपका अपहरण होना अनिवार्य है ! सीता की वापसी अग्नि परीक्षा के बाद हो गई थी पर एक बार यदि आप फेसबुक के पन्नों से गायब हो गए तो बिरले ही कोई ”राम होगा जो आपको स्वीकार करे ! पुरानी मित्रता में क्षमा दान का प्रावधान था ,पर निर्मोही “डिजिटल मित्रता ” में इसका स्थान नहीं है !

यहाँ विचारों का महासंग्राम होता है ! अधिकांशतः राजनीति के बाण छुटते रहते हैं ! कभी -कभी आलोचना ,समालोचना और टिप्पणिओं का महाभारत होने लगता है ! प्रहारों का दौर चलने लगता है ! इन युद्धयों के उपरांत मित्रता बिखर जाती है !

ऐसी बात नहीं है कि हमारीमित्रता की इमारत रेत से बनी है ! हम मानते हैं कि यह बिना मेरुदंड के जमीन पर रेंग रहा है पर इनमें भी कुछ नए आयामों को जोड़ सकते हैं जो इस डिजिटल मित्रता को नई संजीविनी प्रदान कर सके !

मित्रों का चयन सीमित हो और उनके क्रियाकलापों को उनके फ़ेसबूक के पन्नों पर देखें और परखें ! सबकी बातें पढ़ें ,सबकी सुने और जहाँ तक हो अपनी आलोचना ,समालोचना और टिप्पणिओं को शालीनता ,माधुर्यता और शिष्टाचार के परिधि में रहकर अपनी प्रतिक्रिया दें !

सबों को सम्मान दें ! कोशिश यह रहनी चाहिए कि राजनीति उठक -पटक से परहेज करें !’… नेपोलेयन सम्राट अपने हरेक सैनिकों का नाम याद रखता था और उनको उनके नामों से ही पुकारा करता था !…. फिर सीमित मित्रों को भलीभाँति जानना ,कहें मुश्किल कैसे हो सकता है ?

यही तो हमारा रंगमंच है जहाँ हम अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं ! हमारी यह धारणा कि…… “सोशल मीडिया के रूठे लोग शायद ही मिलते हैं ” ……गलत सिद्ध हो जाएगा और “डिजिटल मित्रता ” को लोग अपने गले से लगा के रखेंगे ? शायद यह कभी हो नहीं सकता है !

=======================

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Hindi
147 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
‘ विरोधरस ‘---5. तेवरी में विरोधरस -- रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---5. तेवरी में विरोधरस -- रमेशराज
कवि रमेशराज
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
लोगों को खुद की कमी दिखाई नहीं देती
Ajit Kumar "Karn"
तू मेरी रोशनी मैं तेरा दीपक हूं।
तू मेरी रोशनी मैं तेरा दीपक हूं।
Rj Anand Prajapati
shikshak divas **शिक्षक दिवस **
shikshak divas **शिक्षक दिवस **
Dr Mukesh 'Aseemit'
"डोली बेटी की"
Ekta chitrangini
हरियाली तीज....
हरियाली तीज....
Harminder Kaur
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
Sanjay ' शून्य'
"बेरोजगार या दलालों का व्यापार"
Mukta Rashmi
*अग्रसेन भागवत के महान गायक आचार्य विष्णु दास शास्त्री : एक युग , एक महापुरुष*
*अग्रसेन भागवत के महान गायक आचार्य विष्णु दास शास्त्री : एक युग , एक महापुरुष*
Ravi Prakash
पलकों से रुसवा हुए,
पलकों से रुसवा हुए,
sushil sarna
इश्क
इश्क
Neeraj Mishra " नीर "
..
..
*प्रणय*
एक शे'र
एक शे'र
रामश्याम हसीन
नारी का सम्मान 🙏
नारी का सम्मान 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।
Phool gufran
दिवाली फिर है आई
दिवाली फिर है आई
Paras Nath Jha
मेरी मायूस सी
मेरी मायूस सी
Dr fauzia Naseem shad
23/179.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/179.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
जगदीश शर्मा सहज
आजमाती है ज़िन्दगी तो, इम्तिहान कड़े होते हैं।
आजमाती है ज़िन्दगी तो, इम्तिहान कड़े होते हैं।
Manisha Manjari
उम्र बीत गई
उम्र बीत गई
Chitra Bisht
The Sweet 16s
The Sweet 16s
Natasha Stephen
DR Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
DR Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"क्या करूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
" इस दशहरे १२/१०/२०२४ पर विशेष "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"युग -पुरुष "
DrLakshman Jha Parimal
मेरी कलम
मेरी कलम
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"अकेलापन की खुशी"
Pushpraj Anant
Loading...