सोलह कला अवतारी
सोलह कला अवतारी कहलाओ , जगती के संकट हारो
आओ रे गोपाल आओ , धरणी को मुक्त कराओ
खुल गये बन्ध कारागार के , हो गयी है आकाशवाणी
पहुँचाओ नन्दराय के , यह थी मधुर गर्जन बानी
अतिमानव रूप तुम्हारा , धरणी को कंस मुक्त कराओ
आओ रे गोपाल आओ , धरणी को मुक्त कराओ
विदित संदेशा कंस को , पूतना भेजी मारने पालनहार
खींच लिए प्राण वक्ष से , लीला दिखला रहे पालनहार
अति मानव रूप तुम्हारा , धरणी पूतना मुक्त बनाओ
आओ रे गोपाल आओ , धरणी को मुक्त कराओ
यमुना जहर उड़ेले कालिया , पशु पक्षी का हो संहार
कूद पड़े कान्हा यमुना में , नाग कन्याएं हौ शर्मसार
अति मानव रुप तुम्हारा , गंगा को मुक्त कराओ
आओ रे गोपाल आओ , धरणी को मुक्त कराओ