सोया देश जगाने को मैं
हम हिन्द के वासी रखतें इसका ध्यान
हम बुलबुले इसके ये हमारा गुलिस्तान
हम तीन रँग तिरंगे के समझ लेना तुम
थल जल वायु से हम इसके निगेहबान
ऐसी आग लगा देंगे क़लम से अपनी हम
धुँ धुँ कर जल उठेंगे दुश्मनो के अरमान
दिल्ली का राजभवन सुरक्षित रहे हमेशा
बालिदानो की परंपरा में सोचे वीर जवान
पूजे मजारें पीरो की रख बोली शमशीरों की
हम भगवधारी करतें है ऋषियों पर अभिमान
कवि कल्हण राजतरंगिणी भारत भू पे गाये
चन्द्रवरदाई भी बचाता पृथ्वी का स्वाभिमान
कश्मीर भारत का अंग कहते हम हिन्दवासी
सिर का ताज हिमालय तो पैर बने अंडमान
जय हिंद का नारा हर भारत वासी का प्यारा
मातृ भूमि का माँ माने बेटी में देखे हिंदुस्तान
राष्ट्र भक्ति घर घर मे जन्मे दुआ करता हमदर्द
मातृ भूमि के बलिवेदी पर दे देगा अपनी जान
युद्ध का कौशल खिलाड़ी नहीं क़लम प्रहरी हूँ
सोया देश जगाने का करता कलम से आह्वान
अशोक सपड़ा हमदर्द
दिल्ली से