Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2023 · 1 min read

सोने पर सुहागा’ : एक गलत ‘मुहावरा’ / MUSAFIR BAITHA

गलत ‘मुहावरा’:

‘सोने पर सुहागा’, बहुप्रचलित लोकोक्ति है। यह किसी सकारात्मक प्राप्ति के संग-साथ मिली चीज़ के लिए प्रयोग में आता है। कहिये कि किसी स्वादिष्ट चीज़ के स्वाद में एडेड फ्लेवर होता है ‘सोने पर सुहागा’!

वैसे, गौर करें तो पाएंगे कि सोने को गलाने में सुहागा का प्रयोग होता है। सुहागा एक प्रकार का उत्प्रेरक है, कैटेलिस्ट है जो स्वर्ण को गलाने में मदद कर आभूषण आदि तैयार करने के काम आता है।

अतः सोना एवं सुहागे का जो आपसी सम्बन्ध है वह उपर्युक्त कहावत के चालू अर्थ को व्यंजित करने में सक्षम नहीं है। यदि सही अर्थ लेना हो तो लोकोक्ति से ‘सुहागा’ को अपदस्थ कर ‘सुगंध’ जोड़ना चाहिए, सुगंध चाहे सोने के कैरेक्टर में अटता हो न हो!

यानी, मुहावरे में चलाइये, मुहावरा चलाइये – “सोने में सुगंध”।

115 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr MusafiR BaithA
View all
You may also like:
दूध-जले मुख से बिना फूंक फूंक के कही गयी फूहड़ बात! / MUSAFIR BAITHA
दूध-जले मुख से बिना फूंक फूंक के कही गयी फूहड़ बात! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
*वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)*
Dushyant Kumar
अब तलक तुमको
अब तलक तुमको
Dr fauzia Naseem shad
तू  मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
तू मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
कृष्णकांत गुर्जर
■ मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थू।
■ मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थू।
*प्रणय प्रभात*
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
The_dk_poetry
गलती अगर किए नहीं,
गलती अगर किए नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
काल भैरव की उत्पत्ति के पीछे एक पौराणिक कथा भी मिलती है. कहा
काल भैरव की उत्पत्ति के पीछे एक पौराणिक कथा भी मिलती है. कहा
Shashi kala vyas
12, कैसे कैसे इन्सान
12, कैसे कैसे इन्सान
Dr .Shweta sood 'Madhu'
*गठरी बाँध मुसाफिर तेरी, मंजिल कब आ जाए  ( गीत )*
*गठरी बाँध मुसाफिर तेरी, मंजिल कब आ जाए ( गीत )*
Ravi Prakash
चलो दोनों के पास अपना अपना मसला है,
चलो दोनों के पास अपना अपना मसला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बंधन यह अनुराग का
बंधन यह अनुराग का
Om Prakash Nautiyal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
3521.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3521.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
उदास आँखों से जिस का रस्ता मैं एक मुद्दत से तक रहा था
उदास आँखों से जिस का रस्ता मैं एक मुद्दत से तक रहा था
Aadarsh Dubey
फ़कत इसी वजह से पीछे हट जाते हैं कदम
फ़कत इसी वजह से पीछे हट जाते हैं कदम
gurudeenverma198
प्यार तो हम में और हमारे चारों ओर होना चाहिए।।
प्यार तो हम में और हमारे चारों ओर होना चाहिए।।
शेखर सिंह
National Cancer Day
National Cancer Day
Tushar Jagawat
जिसको चाहा है उम्र भर हमने..
जिसको चाहा है उम्र भर हमने..
Shweta Soni
विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन
Santosh kumar Miri
फितरत,,,
फितरत,,,
Bindravn rai Saral
“बदलते रिश्ते”
“बदलते रिश्ते”
पंकज कुमार कर्ण
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
दिन गुजर जाता है ये रात ठहर जाती है
दिन गुजर जाता है ये रात ठहर जाती है
VINOD CHAUHAN
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका  आकार बदल  जाता ह
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता ह
Jitendra kumar
शुरुआत
शुरुआत
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ये तुम्हें क्या हो गया है.......!!!!
ये तुम्हें क्या हो गया है.......!!!!
shabina. Naaz
"सुनहरा दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...