सोने की ईंट
एक विधवा मां और उसके दो जवान बेटे अपनी गरीबी और तंगहाली से परेशान होकर एक पंडित के पास पहुंचे और उन्हें अपनी जन्मपत्री दिखाई। पंडित जी ने उन्हें समझाया कि वह अपने बंद पड़े खानदानी पेशे को दोबारा शुरू करें और अपना दिन रात उसमें झोंक दें और फिर देखें कैसे उनके ईंटों के भट्टे की एक एक ईंट सोने में बदल जायेगी और उनके घर में पैसा बरसायेगी। मिट्टी सोना कैसे उगलेगी यह समझना उन्हें थोड़ा मुश्किल लगा लेकिन उन्होंने पंडित जी के कहे अनुसार तत्काल ही अपने भट्टे पर कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। देर रात तक वह तीनों मिलकर भट्टे पर काम करते रहते। मां के सिर पर रखी ईंटों पर कभी चांद बैठ जाता तो कभी भट्टी में तपती और उसके किनारे रखी ईंटों का रंग जलती अग्नि में तपकर व घुलकर उसके रिफ्लेक्शन से कभी कभी सोने का प्रतीत होता। पंडित जी की बात में कोई सच्चाई लग नहीं रही थी। सब भ्रम था। ईंट सोने में परिवर्तित नहीं हो रही थी। समय बीतता गया। एक सुनहरा पल ऐसा भी आया जब इन तीनों की मेहनत रंग लाई। इनका ईंटों का कारोबार चल निकला और इनको लाभ पहुंचाने लगा। पंडित जी का कहा थोड़ी देर से सही पर अब सच साबित होने लगा था। पक्की ईंट मिट्टी की पैसा बरसा रही थी और सोना उपजा रही थी। ध्यानपूर्वक देखा जाये तो वह एक सोने की ही तो ईंट थी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001