सोना ही रहना उचित नहीं, आओ हम कुंदन में ढलें।
सोना ही रहना उचित नहीं, आओ हम कुंदन में ढलें।
सुख सुविधाओं के लत छोड़ें, साहस की भट्टी में जलें।।
वह जीना भी क्या जीना है, जिसने लक्ष्य छुआ ही नहीं,
अपनी इच्छा शक्ति जगाकर, अपने सपने छूने चलें।।
— ननकी 21/10/2024