सोती रातों में ख़्वाब देखा अब इन आँखों को जागना है,
सोती रातों में ख़्वाब देखा अब इन आँखों को जागना है,
अभी तलक तो जग से जीते अब तो खुद से भी जीतना है,
मिलेंगी कभी मुश्किलें तो छाएँगे कभी ग़मो के बादल,
अभी तलक तो दर्द ही बाँटा अब हँसी को भी बाटना है,
दरिया हमको क्या डुबोये दिल की लहरें उफान पर है,
तूफ़ाँ में कश्ती भी ढुंढ लेंगे दिल बड़ा मज़बूत बना है,
है कठिन मंजिल को पाना दिल ए फ़िर भी ज़िद पे अड़ा है,
काटें है जहाँ मोड़ मोड़ वो रास्ता हमने चुना है।
✍️वैष्णवी गुप्ता (vaishu)
कौशांबी