सोच भविष्य की
भूत
होता ही है
भूलने के लिए
भविष्य की
सोचिये
वर्तमान को
देखिये
क्या
बीता वक्त ही
मिला है
शिकायतेंं
करने के लिए ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 17/05/92 )
भूत
होता ही है
भूलने के लिए
भविष्य की
सोचिये
वर्तमान को
देखिये
क्या
बीता वक्त ही
मिला है
शिकायतेंं
करने के लिए ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 17/05/92 )