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13 Oct 2024 · 1 min read

सोच तो थी,

सोच तो थी,
रावण की बुराइयों को मारने की।
पर बहुतों ने रावण को मार कर,
उसकी बुराईयांँ ही अपना ली।
………….✍️योगेन्द्र चतुर्वेदी

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