Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2020 · 3 min read

” सोच का फर्क “

बेटी को स्कूल के लिए तैयार करती कोमल सोच रही थी की घर में सबको बताये की ना बताये समझ नही पा रही थी , उसको पता था की बताते ही क्या होने वाला है डर लग रहा था लेकिन एक तरफ संजय पर जरूरत से ज्यादा भरोसा भी था की वो सब संभाल लेगा । पों पोंssss बस के हार्न से चौक उठी बेटी का हाथ पकड़ बैग उठा कर गेट की तरफ…भागी बाय – बाय मम्मा बाय बेटा बस के ओझल होने तक गेट पर ही खड़ी रही अंदर जाने का मन नही कर रहा था अंदर सब दुश्मन नजर आ रहे थे । लेकिन कब तक बाहर खड़ी रहती मन मार कर अंदर आ गई और रोज की दिनचर्या में उलझ गई , रात को बेटी को सुलाने के बाद उसने सोचा संजय को बता ही देती हूँ संजय मुझे तुम्हें कुछ बताना है हाँ बोलो क्या बात है ?
वो मैं फिर से माँ बनने वाली हूँ अरे ! ये तो अच्छी बात है मम्मी – पापा तो भईया – भाभी के पास ही गये हैं कल चल कर सबको एकसाथ ही खुशखबरी दे देते हैं ये ” खुशखबरी ” शब्द सुन कोमल के मन में बैठा डर कम हुआ फिर भी उसने पूछ ही लिया कहीं भाभी के साथ जो हुआ वो मेरे साथ भी तो नही होगा ? क्यों क्यों होगा तुम्हारे साथ वो भाभी की भी मर्जी थी किसी ने जबरदस्ती नही की थी उनके साथ ।
शाम को रीता भाभी और भईया के घर जाने के लिए निकले रास्ते भर कोमल को अपनी सास की कही बात याद आ रही थी ” तुम रीता की बराबरी मत करना वो अपने साथ आधी जायज़ाद लेकर आई है ( रीता भाभी बस दो ही बहनें थी ) , वहाँ पहुँच कर थोड़ी देर मिलना मिलाना चलता रहा फिर चाय नाश्ता चाय पीते – पीते सजय ने कोमल के प्रेगनेंसी की बात बता दी सब सुन कर खुश होते इससे पहले ही सास की आवाज ने चाबुक का काम किया बोलीं पहली बार जो हो गया सो हो गया इस बार बिना टेस्ट कराये बच्चा नही होगा वही हुआ जो कोमल ने सोचा था लेकिन वो भी सोच कर आई थी की वो चुप नही रहेगी झट बोली मम्मी मुझे लड़का – लड़की से कोई फर्क नही पड़ता है , लेकिन मुझे फर्क पड़ता है सास की आवाज तेज हो चुकी थी पापा ने कुछ नही बोला ये उनकी मौन सहमति थी । कोमल हार मानने वाली नही थी फिर बोली मम्मी आप तो कहती हैं की मैं भाभी की बराबरी ना करूँ क्योंकि वो अपने घर से आधी जायज़ाद लेकर आई हैं फिर यहाँ तो मेरे पास भाई होना खराब हो गया…मैं टेस्ट नही कराऊँगीं नही चाहिए मुझे दुसरा बच्चा अभी ज्यादा समय नही हुआ है चार महीने के बाद मुझे अपने ही बच्चे की हत्या से अपने हाथ नही रगंना है , मेरी एक ही बेटी ठीक है और वो आधी नही पूरी जायज़ाद लेकर जायेगी जिससे उसकी सास और भी ज्यादा प्यार करेगी । बहुत ज़बान चलने लगी है तुम्हारी अब संजय बोल उठे क्या बोल कर लाये थे यहाँ मम्मी – पापा के सामने सब टॉय – टॉय फिश फैसला सुना दिया गया लास्ट एंड फाइनल टेस्ट कराओ अगर लड़का हुआ तो ठीक नही तो अबार्शन कराना होगा , कोमल ने ये बात नही मानी वो तुरंत अबार्शन के लिए तैयार हो गई ये बोलते हुये की अब ये आखिरी बार है संजय की अपनी तरफ से उसके सपोर्ट में कुछ नही कहा । अस्पताल जाते हुए कोमल को सिर्फ़ संजय के अलावा और किसी से शिकायत नही थी जिसको अंतर्मन समझना था और साथ खड़े रहना था जब उसने ही नही समझी अंतर्मन की व्यथा तो किसी और से क्या उम्मीद करती वो । अस्पताल पहुँच कर डाक्टर से झूठ कह दिया की दूसरा बच्चा नही चाहिए मन बहुत बेचैन हो रहा था दिमाग काम नही कर रहा था ” सोच का फर्क ” देख चुकी थी की कैसे एक तरफ लड़का होना खराब था और दूसरी तरफ अच्छा , एनेस्थीसिया का असर हो चुका था होश में आने पर कुछ घंटों के बाद घर के लिए चल दी साथ था घायल मन और खुद के लिए कुछ ना कर पाने का दर्द , आँखे एनेस्थीसिया के असर से बंद हो रहीं थीं या आत्मग्लानी के बोझ से पीड़ा शरीर में हो रही थी या अंतर्मन में दोनों ही बात समझना मुश्किल था ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10/09/2020 )

Language: Hindi
397 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
😊भायला-भायलियों!
😊भायला-भायलियों!
*प्रणय*
ख़ुशबू आ रही है मेरे हाथों से
ख़ुशबू आ रही है मेरे हाथों से
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4009.💐 *पूर्णिका* 💐
4009.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*जिंदगी के  हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
*जिंदगी के हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
"आंखों के पानी से हार जाता हूँ ll
पूर्वार्थ
आज  उपेक्षित क्यों भला,
आज उपेक्षित क्यों भला,
sushil sarna
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मनु
मनु
Shashi Mahajan
आत्म विश्लेषण
आत्म विश्लेषण
Bindesh kumar jha
शांति का पढ़ाया पाठ,
शांति का पढ़ाया पाठ,
Ranjeet kumar patre
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
What Was in Me?
What Was in Me?
Bindesh kumar jha
नेता बनि के आवे मच्छर
नेता बनि के आवे मच्छर
आकाश महेशपुरी
ईश्वर
ईश्वर
Neeraj Agarwal
उस रब की इबादत का
उस रब की इबादत का
Dr fauzia Naseem shad
पीयूष गोयल में १७ पुस्तकें लिख कर रच दिया इतिहास.
पीयूष गोयल में १७ पुस्तकें लिख कर रच दिया इतिहास.
Piyush Goel
"विचित्र संयोग"
Dr. Kishan tandon kranti
❤️❤️ भोजपुरी ग़ज़ल ❤️❤️
❤️❤️ भोजपुरी ग़ज़ल ❤️❤️
Vijay kumar Pandey
चुनाव 2024....
चुनाव 2024....
Sanjay ' शून्य'
शोकहर छंद विधान (शुभांगी)
शोकहर छंद विधान (शुभांगी)
Subhash Singhai
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता।   नील रूहान
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता। नील रूहान
Neelofar Khan
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
बुंदेली मुकरियां
बुंदेली मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
बंधी मुठ्ठी लाख की : शिक्षक विशेषांक
बंधी मुठ्ठी लाख की : शिक्षक विशेषांक
Dr.Pratibha Prakash
मेरे भाव मेरे भगवन
मेरे भाव मेरे भगवन
Dr.sima
बदल सकता हूँ मैं......
बदल सकता हूँ मैं......
दीपक श्रीवास्तव
...........
...........
शेखर सिंह
Loading...