सोच अपनी अपनी
सोच अपनी अपनी
एक गाँव में दो किसान रहते थे।दोनों के पास थोड़ी थोड़ी ज़मीन थी, उसमें ही मेहनत कर अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते थे।
अकस्मात कुछ दोनों की एक ही दिन एक ही समय मृत्यु हो गयी।
यमराज दोनों को एक साथ भगवान के पास ले गए।
भगवान ने उनसे पूछा, ”तुम्हारे इस पिछले जन्म में क्या कमी थी और अगले जन्म हेतु तुम्हारी क्या अभिलाषा है?”
भगवान की बात सुनकर उनमे से एक किसान बड़े गुस्से से बोला, ”हे भगवान! आपने इस जन्म में मुझे बहुत घटिया ज़िन्दगी दी थी। आपने कुछ भी नहीं दिया था मुझे।सारा जीवन मैंने बैल की तरह खेतो में काम किया, जो कुछ भी कमाया वह बस पेट भरने में लगा दिया, ना ही मैं कभी अच्छे कपड़े पहन पाया और ना ही कभी अपने परिवार को अच्छा खाना खिला पाया। जो भी पैसे मैं कमाता था,उससे बहुत कठिनाई से घर खर्च चलता और बनिए का ब्याज ही चुका पाता था और कभी कभी तो भूखे मरने की नौबत भी आ जाती थी।अब मैं तो अगले जन्म के लिए आपश्री से यही प्रार्थना करता हूँ कि अगले जन्म में मुझे कभी किसी को कुछ भी देना ना पड़े। मुझे तो केवल चारो तरफ से पैसा ही पैसा मिले।”
प्रभु मुस्कुराए और बोले,”तथास्तु! तुम्हे अगले जन्म में ऐसा ही जीवन मिलेगा।”
अब दूसरा किसान भगवान के सामने हाथ जोड़ते हुए बोला,”हे प्रभु! आपने मुझे सबकुछ दिया, मैं आपसे क्या मांगू,आपने मुझे एक अच्छा परिवार दिया,मुझे कुछ जमीन दी जिस पर मेहनत से काम कर मैंने अपना परिवार को एक अच्छा जीवन दिया। खाने के लिए आपने मुझे और मेरे परिवार को भरपेट खाना दिया। मैं और मेरा परिवार कभी भूखे पेट नहीं सोया। बस एक ही कमी थी मेरे जीवन में, जिसका मुझे अपनी पूरी ज़िन्दगी अफ़सोस रहा और आज भी है। मेरे द्वार पर कभी कुछ भूखे प्यासे लोग आते थे भोजन माँगने के लिए, परन्तु कभी कभी मैं भोजन न होने के कारण उन्हें खाना नहीं दे पाता था,और वे मेरे द्वार से भूखे ही लौट जाते थे। हे प्रभु! आप कुछ ऐसा कर दो कि अगले जन्म में मेरे द्वार से कभी कोई भूखा प्यासा ना जाये।”
भगवान मुस्करा कर उसे भी कहा, “तथास्तु!”
अब दोनों का पुनः उसी गाँव में एक साथ जन्म हुआ। दोनों बड़े हुए।
पहला व्यक्ति जिसने भगवान से कहा था, कि उसे चारो तरफ से केवल धन मिले और मुझे कभी किसी को कुछ देना ना पड़े, वह व्यक्ति उस गाँव का सबसे बड़ा भिखारी बना।
और……..
दूसरा व्यक्ति जिसने भगवान से कहा था कि उसे कुछ नहीं चाहिए, केवल इतना हो जाये की उसके द्वार से कभी कोई भूखा प्यासा ना जाये, वह उस गाँव का सबसे अमीर आदमी बना।
ईश्वर ने हमें मनुष्य जन्म दिया हमारे लिए यही बहुत है।अब यह तो हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम अपने आसपास के वातावरण को नकारत्मक रूप से देखते हैं या सकारात्मक रूप से।
अच्छा जीवन जीना है तो अपनी सोच को अच्छा बनाते हुए हम किसी में कोई कमी न देखें प्रभु द्वारा प्रदत्त इस मानव जन्म का आनन्द लें हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भाव रखें।