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19 Mar 2020 · 1 min read

सोचें क्या बैठकर कि भला

खुलकर न करो ऐसी खता लोग क्या कहेंगे
हँसकर न किसी को दो दुआ लोग क्या कहेंगे

नफरत की जंग में थे बड़े शौक से शामिल
जब इश्क हो गया तो कहा लोग क्या कहेंगे

सबकुछ दिया मगर जरा सा माँग क्या लिया
नजरें चुरा के बोल गया लोग क्या कहेंगे

कशमकश में वक्त निकल जाएगा ‘संजय’
सोचें क्या बैठकर कि भला लोग क्या कहेंगे

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