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23 Dec 2021 · 1 min read

सोचिए हाथों में पत्थर (गीतिका)

सोचिए हाथों में पत्थर (गीतिका)
———————————————–
सोचिए हाथों में पत्थर आज किसके पास है
किसने बुलाया है उसे यह सोचना भी खास है(1)

बस जली बाइकें जलीं धू धू धुँआ है उठ रहा
ऐसे समय मन में कहो किसके भरा उल्लास है (2)

थक जाएंगे हिंसा भरे नारे हवा में गूँजते
जीत जाएगी अहिंसा देश का विश्वास है(3)

मौत के मुँह से उसे अब तो निकाला जाएगा
पाक में उन्माद का बनता रहा जो ग्रास है(4)

कानून सी ए ए बनाकर आपने अच्छा किया
इस पार भी उस पार भी इस बात का एहसास है(5)
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

2 Likes · 1 Comment · 527 Views
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