सोचा था एक घर होगा, घर में खुशियाँ अपार होंगी।
सोचा था एक घर होगा, घर में खुशियाँ अपार होंगी।
अभी बुनियाद ही रखी थी, कि ऐसातूफान आ गया।
खुशियों को दफनाकर, बुनियाद में मेरे घर की।
कहता था वो बुलंदी से, सैतान आ गया।
न इल्म उसको था, न अहसास मुझको था।
मेरे अंदर भी बदले का, इंतकाम आ गया।
लाशों की कल्पना से ही लगता है शमशान आ गया।
श्याम सांवरा…..