सोचती हूं
सोचती हूॅं …
जिस दिन ये किसान
सौंप देंगे धरती को
अपना फावड़ा और हसूआ
और देह के कब्र में दफना देंगे
मिट्टी का मिट्टी से प्यार को
क्या धरती दे पाएगी हमें … अन्न
और फिर क्या खाके हम होंगे … धन्य ???
~ सिद्धार्थ
सोचती हूॅं …
जिस दिन ये किसान
सौंप देंगे धरती को
अपना फावड़ा और हसूआ
और देह के कब्र में दफना देंगे
मिट्टी का मिट्टी से प्यार को
क्या धरती दे पाएगी हमें … अन्न
और फिर क्या खाके हम होंगे … धन्य ???
~ सिद्धार्थ