सैलाब …..
सैलाब …..
होती है
हर पुरानी किताब
एक कब्र की तरह
दफ़्न होते हैं जिसमें
पीले पन्नों पर लिखे
कुछ सिसकते ख़्वाब
और सूखे गुलाबों में लिपटे
दर्द के सैलाब
सुशील सरना/16-2-24
सैलाब …..
होती है
हर पुरानी किताब
एक कब्र की तरह
दफ़्न होते हैं जिसमें
पीले पन्नों पर लिखे
कुछ सिसकते ख़्वाब
और सूखे गुलाबों में लिपटे
दर्द के सैलाब
सुशील सरना/16-2-24