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21 Apr 2020 · 1 min read

सैलाब आ रहा है

सैलाब आ रहा है
*************

ये दिन ढल रहा है
तम भी चढ़ रहा है

मन बड़ा अशांत है
व्याकुल हो रहा है

खुद की तालाश में
आतुर हो रहा है

दिल बहुत भारी है
संतप्त हो रहा है

फांसला दरमियान
बढ़ता जा रहा है

फूलों की सुगंध ले
भंवरा बन रहा है

चाँद सी महबूबा
बहका जा रहा है

अकेलापन संग है
एकांत जी रहा है

आँखों में नमी है
सैलाब आ रहा है

सुखविंद्र उदास है
विह्वल हो रहा है
**************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 191 Views
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