सैनिक
दिन हो या रात हो |
हमेशा करते सरहद की देखभाल |
थमते न एक पल के लिए भी ये |
हमेशा रखते भारत माँ का ख्याल |
जब-जब दुश्मनों ने देश पर आँख उठाई |
तब-तब उन्होंने इसकी लाज बचाई |
जब भी कभी होता दुश्मनों का वार |
ये सीमा पर डटे रहते हमेशा तैयार |
करके उनका बुरा हाल, कर देते उनका संहार |
होकर शहीद वो वीर जवान |
बना गए इस देश को महान |
हँस कर दे दी अपनी जान |
लटक गए फांसी के फंदे पर |
पर मरते दम तक भी उनके जुबां पर,
रहा भारत माँ का नाम |
अगर कोई चलता देश पर गहरी चाल |
तो ये उधेड़ देते उनकी मोटी खाल |
नाकाम हो जाती दुश्मनों की हर माया |
क्योकि वो रहते है बनकर “देश का साया” |
वो हर दिन खेलते मौत से |
इसलिए नही डरते किसी खौफ से |
वे डरते नही किसी भी गद्दार से |
ना तलवारों की धार से |
ना गोलियों की बौछार से |
बन्दे डरते है तो सिर्फ “परवर्दिगार से””