*सैनिक (सिंह विलोकित घनाक्षरी छंद)*
सैनिक (सिंह विलोकित घनाक्षरी छंद)
_________________________
गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत माँ
तुझ पे चढ़ाने शीश हँस-हँस जाते हैं
जाते हैं जो सरहद पर युद्ध करने को
काल-महाकाल जो कि खुद ही बुलाते हैं
लाते हैं जो अमृत-कलश बलिदान दे के
देश को स्वतन्त्र जिस कारण ही पाते हैं
पाते हैं चरण धूलि ऐसे सैनिकों की जब
देशभक्त धूलि वह शीश पे लगाते हैं
————————————-
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451