सैनिक जैसे गीत…
गद्दारों को अपने दम से, याद दिला दें नानी।
सैनिक जैसे गीत लिखो कवि, राष्ट्र भक्त बलिदानी।।
निर्धन की आँखों के आँसू, पीड़ा का अखबार।
लोकतंत्र के सच्चे नायक, सच के पहरेदार।।
फोड़ प्रश्न एटम को रोकें, सत्ता की मनमानी।
सैनिक जैसे गीत लिखो कवि, राष्ट्र भक्त बलिदानी।।
मजबूरी के मौन की भाषा, जनता की आवाज।
विदुर सरीखे नीतिवान अर्जुन से तीरंदाज।।
शौर्य समंदर वीर शिवा से, राणा से स्वभिमानी।
सैनिक जैसे गीत लिखो कवि, राष्ट्र भक्त बलिदानी।।
दर्द किसानों का सीने में, रक्खें “दीप” सँभाल।
करें भूमि पर हालातों की, वादों की पड़ताल ।।
गौरवान्वित हो जाए जो, भरतवंश का पानी।
सैनिक जैसे गीत लिखो कवि, राष्ट्र भक्त बलिदानी।।
प्रदीप कुमार “दीप”
सुजातपुर, सम्भल(उ०प्र०)