सैनिक के घर करवाचौथ
सैनिक संवाद
लेकर करवा खड़ी हुई हूँ, तुम कहाँ हो आ जाओ
चाँद गगन चढ़ आया है , तुम कहाँ हो आ जाओ
सैनिक
तुम देख सको तो देखो सजनी मैं चाँद में ही दिख जाऊंगा
सीमा पर बड़ी चौकसी है अगले वर्ष ही आ पाउँगा
दीवाली के दिए जलाना एक दिया मेरे नाम का भी
अगले माह जन्म जब ले वो तो मैं कथा करवाऊंगा
पत्नी
कैसी प्रीत है समझ न आये, दूरी मीलों की मन हर्षाये
तुम हिम्मत रखना शान हमारी, मिटटी तुझ पर इतराये
मैं सैनिक की पत्नी हूँ चाँद अर्घ संग सीमा पर जाए
बीत कई हैं दिवाली कहाँ सजन तुम आ जाओ
सैनिक
मैं तो तेरे आंगन सजनी, रंगोली के रंगो में हूँ
तेरे चाँद से चेहरे की हर ख़ुशी के ढंगों में हूँ
तू घबरा मत पुत्र मेरा जब भी सीमा पर आएगा
मेरे नाम का दिया यहाँ भी तिरंगे में दिख जायेगा
पत्नी
अब तो आओ मेरे ढोला बिटिया को चुन्दर उढा जाओ
गीली आँखों में कुछ सपने आकर उनको कभी सजाओ
सैनिक
मैं सैनिक कर्तव्य परायण यह सीख उसे तुम दे देना
सबसे पहले राष्ट्र धर्म है इतना उसको समझा देना
सारी जिम्मेदारी मैंने तेरे बिन तेरे ही नाम निभाई है
अब अंत समय मेरे सजनवा आँख मेरी भर आई है
उस जग में कभी अंक में भर के मेरी पीढ मिटा जाओ
सारा जीवन की है प्रतीक्षा अब चिर पीढ़ मिटा जाओ