ख्वाब
आए हो तुम ख्वाब में तो
थोड़ी देर ठहर जाओ
ख्वाब पुरे बुन लूँ मैं
इतनी देर तुम रुक जाओ।।
माना यह ख्वाब मेरा
सच नहीं हो सकता है
पर ख्वाब मे ठहर कर ही
तुम थोड़ी खुशी मुझे दे जाओं।।
उम्र गुजार दी मैंने
तेरे संग ख्वाब सजाने में
इस ख्वाब को बीच में तोड़कर
तुम मुझे दर्द न पहुँचाओ।।
माना देश तुम्हारा प्यार है
पर मेरे प्यार तो तुम हो
करो देश से तुम प्यार
मुझे जरा भी एतराज नही है।।
पर ख्वाब में आकर ही
तुम कभी- कभी मुझे भी
थोड़ी खुशी दे जाओ
ख्वाब पर हक मेरा रहने दो
तुम इसे न छिन कर ले जाओ।।
~ अनामिका