सैकंड हैंड
सैकंड हैंड
‘भैया यह किताब कितने की है ?’ पूछ रहा था ग्राहकों से भरी दुकान के काऊंटर पर एक बालक । बड़े-बड़े लोगों की भीड़ में उसकी कोमल आवाज़ दब कर रह जाती थी । आधे घंटे बाद काऊंटर पर भीड़ छंटी तो दुकानदार का ध्यान उस बालक की ओर गया । बिना सोचे समझे उसे झिड़क कर बोला, ‘तूने इस किताब के पैसे दे दिये हैं क्या?’ जोर से बोले जाने के कारण बालक सहम गया था । कुछ देर शून्य में ताकने के बाद बोला, ‘भैया मैं तो आधे घण्टे से इस किताब के दाम पूछ रहा हूँ । आप मेरी तरफ देख ही नहीं रहे थे ।’ बालक की कोमलता से प्रभावित दुकानदार अब थोड़ा नरम पड़ गया था, बोला ‘बच्चे, इस किताब का मोल 190 रुपये है ।’ बालक हैरान हो गया उसने सोचा नहीं था कि किताब का इतना मोल होगा । बोला ‘भैया कुछ कम हो जायेंगे ।’ दुकानदार बोला ’चलो तुम 180 रुपये दे देना ।’ बालक उदास हो गया था उसके पास तो 180 रुपये भी नहीं थे ।
यह सब माजरा वहाँ अपने पिता के साथ आया एक बालक देख रहा था जो दुकानदार को किताबें बेचने आये थे । वह बालक और दुकानदार के बीच हो रही बातचीत को सुन रहा था और किताब की ओर भी उचक उचक कर देख रहा था । उसे इतना जरूर समझ में आ गया था कि जो बालक वह किताब खरीदना चाह रहा है वह किताब तो उन किताबों में से एक है जो वह पापा के साथ बेचने आया है । चूँकि वह भी बालक था अतः बालक की दुविधा को समझ रहा था । उसने पापा के कान में कुछ कहा । पापा मुस्कुराए । वह बालक भी खुश हो गया था । तुरन्त वह उस बालक के पास गया और बोला, ‘भाई, अगर तुम्हें एतराज न हो तो तुम मेरे से यह किताब ले लो, सैकंड हैंड जरूर है पर साफ सुथरी है ।’ बालक सकपका गया क्योंकि उसके साथ तो उसके पापा नहीं थे । फिर भी वह दुकानदार से नज़रें हटा कर बोला ’भैया, कितने की दे दोगे ।’ दूसरे बालक को बरबस हँसी आ गई फिर मुस्कुरा कर बोला ‘भाई, यह किताब मैं तुम्हें ऐसे ही दे रहा हूँ, इसके कोई पैसे नहीं लगेंगे । मेरे पास और भी किताबें हैं अगर तुम्हारे काम आ जाएँ तो वो भी ले लो ।’ बालक के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान छाने लगी थी । वह उस बालक द्वारा लाई गई किताबों के बंडल को तेजी से देख रहा था । उसमें से उसे दो किताबें और मिल गईं । बालक की खुशी का ठिकाना न था । दुकानदार भी बालकों के बीच हो रहे इस व्यवहार से स्तब्ध था । उधर बालक किताबें वापस लेकर चलने लगा तो दुकानदार ने उसे 6 कापियाँ और 2 नई पेंसिलें दे दीं और उसके पैसे नहीं लिये । बालक हैरान था और दुकानदार दूसरे बालक को धन्यवाद दे रहा था कि उसने दुकानदार को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर लिया । दुकानदार हंस कर बोला ‘लो भाई, अब तो सैकंड हैंड के साथ फस्र्ट हैंड भी हो गया।’ बालक के पापा अभी भी मुस्कुरा रहे थे । उधर बालक ने निश्चय कर लिया था कि वह अपने सभी साथियों से कहेगा कि वे पुरानी किताबें बेचें नहीं और उन बच्चों को बाँट दें जिन्हें उनकी जरूरत है पर उनके पास खरीदने के लिए पैसे नहीं है । वापिस जाते समय उसके पिता गर्व से उसकी ओर देख रहे थे । सैकंड हैंड का मूल्य फस्र्ट हैंड से कहीं अधिक हो गया था ।