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23 Sep 2018 · 1 min read

सेहत है अनमोल

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?सचिन के दोहे?
*****************
दर्पण अब झूठा लगे, मन में उठते पीर।
गलती ऐसी क्या हुई, बेढब हुआ शरीर।।

निज मन की करती रही, खाये छक कर खाज।
मुझे भुगतना पड़ रहा, हाल हुआ जो आज।।

हथनी जैसी बन गई, चलना हुआ मुहाल।
दुस्कर जीवन पथ लगे, बहुत बुरा है हाल।।

देख दशा इस नार की, खाते हैं सब खार।
अपमानित होना पड़े, सचिन इसे हर बार।।

सोच समझ भोजन करो, तन का रखो ध्यान।
तन सुंदर जो पा गए, मान का हो न हान।।
******
✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
10 Likes · 1 Comment · 437 Views
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