सेवानिवृत्ति
सेवानिवृत्ति नहीं जीवन में नव सेवा की तैयारी है,
उज्ज्वल हो भविष्य तुम्हारा यही दिल से दुआ हमारी है।
बढ़ जाए नव पथ पर तव चरण तव अनुभव की कुशलता से,
कर दी सरल हर विकट-सी उलझन अपनी सहज सरलता से।
सौंपा है जो संचित अनुभव वह हमारी जिम्मेदारी है।
सेवानिवृत्ति नहीं जीवन में नव सेवा की तैयारी है,
उज्ज्वल को भविष्य तुम्हारा यही दिल से दुआ हमारी है।
मृदु भाषी और शालीन रही और स्वयं समय की पाबंद रही,
स्कूल को तुम रही समर्पित अनुशासन की अमिट अनुबंध रही।
लगे चार चाॅंद सेवा में हुई पूर्ण सेवा तुम्हारी है।
सेवानिवृत्ति नहीं जीवन में नव सेवा की तैयारी है,
उज्ज्वल हो भविष्य तुम्हारा यही दिल से दुआ हमारी है।
माॅं का ममत्व रहा ऑंचल में चेहरे पर है ओज खिला,
परमपिता का आशीर्वाद और तव समर्पण रोज मिला।
इस धरा पर देवदूत- सी शख्सियत चमके तुम्हारी है।
सेवानिवृत्ति नहीं जीवन में नव सेवा की तैयारी है,
उज्ज्वल हो भविष्य तुम्हारा यही दिल से दुआ हमारी है।
जीवन की जटिलता से अब तो तव तन-मन को विश्राम मिले,
जो स्वप्न रहे अपूर्ण, अब हो पूर्ण जीवन प्रसून खिले।
शुभकामनाऍं यही सफल हो जीवन की नई पारी है।
सेवानिवृत्ति नहीं जीवन में नव सेवा की तैयारी है,
उज्ज्वल हो भविष्य तुम्हारा यही दिल से दुआ हमारी है।
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव फेज-2
अलवर ( राजस्थान)