सेवानिवृत्ति
****** सेवानिवृत्ति *******
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बेला सेवानिवृत्ति की आई,
नम आँखों से दे हम विदाई।
प्यार भरा साथ ये तुम्हारा था
सच में बड़ा ही जो प्यारा था,
साथ चलेगी तेरी परछाई।
नम ऑंखों से दें हम विदाई।
आप आये बहारें संग लाएं,
गीत ख़ुशी के हम संग गाएं,
घड़ी खुशियों भरी है यह आई।
नम आँखों से दें हम विदाई।
खट्टी-मीठी यादें भी खूब रही,
हंसी-ठिठौली बातें खूब कही,
आँसुओं की झड़ी अब आई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
घर का हाल अभी वैसा ही है,
छोड़कर आये उस जैसा ही है,
जीवनसंगिनी ने प्रीत निभाई।
नम आँखों से दें हम विदाई।
फूलों सा महकता परिवार रहे,
प्रेम वंदना घर का आधार रहे।
चाँद – तारे दे नभ से बधाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
तेरा अनुभव हमें सिखाएगा,
हर इक लम्हा याद आएगा,
दर्द भरी होती सदा जुदाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
सूखे नैन आज भर आये हैं,
जैसे श्याम मेघ बरसाये हैं,
पर रग रग में खुशी है समाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
चन्द्र दत्त चाँद गाँव बालू का,
लगे बेटा जैसे हो ताऊ का,
मनसीरत मन की बात बताई।
नम ऑंखों से दे हम विदाई।
बेला सेवानिवृत्ति की है आई।
नम ऑंखों से दे हम विदाई।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)