“सेवानिवृत्ति”
शिक्षक कभी भी विदा ना होता ,
शिक्षक की ना विदाई करो।
गर शिक्षक विदा जो हो जाए,
तो कैसे समाज का कल्याण करो।
जिन बच्चों को पल-पल देखा बड़ा किया ,
उन बच्चों से कैसे उसको जुदा करो ।
नन्हे बच्चों के बीच बैठ कर अपना जीवन जीता है ,
बच्चों से जो अलग हुआ तो उसका जीवन रीता है।
घर से ज्यादा शाला की चिंता उसको,
ठंड गर्मी व बरसात में शाला पहुंचना होता उसको।
पहले शासन के निर्देश में पढ़ाया ,
अब स्वतंत्र हो उसे पढ़ाने दो ।
उसे जीवन पर्यंत शिक्षक बने रहने दो,
मत करो उसकी विदाई अब उसे जी लेने दो।
जो मर्जी हो जो तरीका हो उसे पढ़ाने दो ,
अब मुक्त करो बंधन से उसे स्वरुचि से सिखाने दो।
शिक्षक कभी भी विदा ना होता ,
शिक्षक की ना विदाई करो।।