सेवानिवृत्ति घड़ी आई
****** सेवानिवृत्ति *******
***********************
बेला सेवानिवृत्ति की आई,
नम आँखों से दे हम विदाई।
प्यार भरा साथ ये तुम्हारा था
सच में बड़ा ही जो प्यारा था,
साथ चलेगी तेरी परछाई।
नम ऑंखों से दें हम विदाई।
आप आये बहारें संग लाएं,
गीत गजलें तराने संग गाएं,
घड़ी खुशियों भरी है यह आई।
नम आँखों से दें हम विदाई।
खट्टी-मीठी यादें भी खूब रही,
हंसी-ठिठौली बातें खूब कही,
आँसुओं की झड़ी अब आई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
घर सँवारा परियों सी रानी ने,
आपके सपनों की महारानी ने,
जीवनसंगिनी ने प्रीत निभाई।
नम आँखों से दें हम विदाई।
आपने शिक्षा का दीप जगाया,
फैला अंधेरा दूर भगाया,
यही जीवन की कीरत कमाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
खूब लिखा और खुद ही गाया,
अच्छा जीवन का पाठ पढ़ाया,
पूरी होगी न आपकी भरपाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
फूलों सा महकता परिवार रहे,
प्रेम वंदना घर का आधार रहे।
चाँद – तारे दे नभ से बधाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
तेरा अनुभव हमें सिखाएगा,
हर इक लम्हा याद आएगा,
दर्द भरी होती सदा जुदाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
जब याद हमारी मन मे आये,
दिल तुम्हारा अकेले घबराये,
हम चले आएंगे बन परवाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
सूखे नैन आज भर आये हैं,
जैसे श्याम मेघ बरसाये हैं,
पर रग रग में खुशी है समाई।
नम आँखों से दे हम विदाई।
याद आएंगी आपकी अदाएं,
और क्या-क्या तुम्हे हम बताएं,
सदा बिगड़ी हुई बात बनाई।
नन आंखों से दे हम विदाई।
चन्द्र दत्त चाँद गाँव बालू का,
रंग चढ़ा सोने जैसी धातु का,
मनसीरत मन की बात बताई।
नम ऑंखों से दे हम विदाई।
बेला सेवानिवृत्ति की है आई।
नम ऑंखों से दे हम विदाई।
***********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)