सेल ! सेल ! पर एक गजल –आर के रस्तोगी
सेल लगाकर दुकानदार,ग्राहकों को आकर्षित करते अधिक है
जब ग्राहक दुकान में घुस जाये,उसकी जेब काटते अधिक है
देते है जो डिस्काउंट,चीजो की प्राइस बताते अधिक है
इस तरह दुकानदार ग्राहकों का,ऊल्लू बनाते अधिक है
लालच करना बुरी बला है,उसमे ग्राहक फसते अधिक है
जो फस जाते है उसमे,बाद में पछताते बहुत अधिक है
सेल लगाकर माल बेचना,फैशन बन गया अधिक है
फैशन की दुनिया में,कोई गारंटी न देना अधिक है
कपड़ो की दुनिया में,सेल लगाने का प्रचलन अधिक है
आज की दुनिया में,रोज रोज फैशन बदलना अधिक है
रस्तोगी को अब में हर टोपिक पर, लिखना अधिक है
कम लिखे को ज्यादा समझ ले ये मेरे लिये अधिक है
आर के रस्तोगी