सेर
अगर तुम समझते रहते मोहब्बत की दरमियाँ को
तो शायद आज हम और तुम यूँ बिछड़े नहीं होते।
—✍️सूरज राम आदित्य
अगर तुम समझते रहते मोहब्बत की दरमियाँ को
तो शायद आज हम और तुम यूँ बिछड़े नहीं होते।
—✍️सूरज राम आदित्य