सेना पे राजनीती
“देश है महान अपना ,शौर्यता की खान है ,
इस धरा पे चमकते सूर्य के सामान है !
हिमालय जिसका मुकुट और हिन्द जिसका नाम है ,
विश्व के पटल पे जो आज भी शोभायमान है !
गर्व है की वो हमारी जन्मभूमि है ,
ऐसे भारत भूमि का फिर हाल क्यों बेहाल है ?
बदलाव सबको चाहिए पर साथ कौन कौन है ?
विकास को यु रौंदने खड़े कितने गद्दार हैं !
अपने कंधो पर उठाता देश की जो नींव है ,
उसे गिराने के लिए भी गद्दार तल्लीन हैं !
नोट उनकी आत्मा और वोट उनकी सांस है ,
धर्म के नाम पे फ़ैलाते हाहाकार हैं !
जीतते चुनाव हैं तो जनता का आशीर्वाद है ,
यदि हार गए चुनाव तो वोटिंग मशीन का झोल है
सैनिक का अपमान देख तो तुम्हारे मुँह बंद हैं ,
पर देशद्रोहियों के लिए तुम्हारे दिल में दर्द है !
ये कैसी विडम्बना और कैसी राजनीती है ?
जो सैनिको के रक्त से ही सनी हुई है !
कुछ तो शर्म करके तुम एक बार सोच लो !
बिना सैनिको के इस देश का क्या हश्र हो ?
या तो विरोधियों को तुम करारा जवाब दो
अन्यथा तुम खुद जाके सीमा पर तैनात हो ”
(पूजा सिंह )