सेक्लुरिजम का पाठ
सेक्लुरिजम का पाठ पढ़ाने वालों,
हमें न अब तुम सब पढाओ।
बहुत ज्ञान दे दिए हमें
अब ज्यादा ज्ञान न बरसाओ।
इतिहास उलटकर देखो अपना,
फिर हमें तुम बताओ।
यह जातिवाद का गंदा खेल
देश में किसने खेला था,
हिंदु – मुस्लिम के नाम पर,
किसने देश हमारा बाँटा था।
किसने अपने स्वार्थ के लिए ,
देश विभाजन का चाल चला था।
इतना था भाईचारा तो
देश हमारा न बँटने देते।
भारत माँ के दो टुकड़े कर
माँ का आँचल न फाड़ते।
न लगने देते भारत माँ
पर विभाजन का कंलक।
न भारत माँ को दफनाकर
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान बनाते।
माना कि जिन्ना मांग रहे थे
सत्ता पर अपना अधिकार ,
इतना ही तुम सेक्युलर थे तो
दे देते उन्ही को सत्ता का अधिकार।
खुद पीछे रहकर तुम
उसका साथ निभाते,
कम से कम भारत को
दो टुकड़े तो न करवाते।
विभाजन के नाम पर जो हुआ,
उसे देश ने देखा,पढा और सुना।
कहाँ था उस विभाजन में
सत्य और अहिंसा,
आज भी उसे देश ढूँढ रहा है।
अब हमें सेक्युलरिज्म का
सीख न सिखाओ ।
हम जैसे हैं वैसे ही रहने दो।
अब ज्यादा न तुम सब चिल्लाओ
अब न अपने पुरखों का
ज्यादा गुण तुम सब गाओं।
खोल दिये इतिहास अगर
सब पोल तुम्हारा खुल जाएगा।
इसलिए अब हमको सेक्लुर
होने का प्रवचन न सुनाओ।
करना ही है तो पुरखों से अलग
अपना पहचान तुम सब बनाओ।
~अनामिका