“सृष्टि की श्रृंखला”
“सृष्टि की श्रृंखला”
गरीब और किसान उपजे फसल को
आढोतिये ट्रैक्टर भर मंडी में ले जाएं,
कोड़ी के दाम खरीदें इनकी मेहनत को
तुच्छ कीमत लगाकर इनको सताएं,
आढोतिये हाथ जोड़े मंडी व्यापारी के आगे
अब इनका पीसने का नंबर आए,
मंडी व्यापारी कीमत लगाए अपने हिसाब से
अबकी बार आढोतिये भी रो जाए,
मंडी व्यापारी इक्ठठा करें माल को
बड़े ठेकेदार को देकर आएं,
ठेकेदार डसे अब मंडी व्यापारी को
हल्के दामों में सारा माल भर ले जाएं,
ठेकेदार चमचे राजनेताओं के
उनके पैरों में हाजिरी लगाएं,
कौड़ी के दाम बेचें अपना माल
जी हुजूरी भी करनी पड़ जाए,
राजनेता भरले अब सारा माल गोदाम में
पैर फैलाकर कुर्सी पर बैठ जाए,
क्षणभंगूर खुशी मिले अब इनको
जो चुनाव समय तक ही रह पाए,
यही राजनेता फिर रोल बदलकर
गरीब और किसान के पैरों में पड़ जाएं,
एक-एक वोट के लिये हाथ जोड़ें
सृष्टी चक्र बस किरदार बदल जाएं,
गरीब का रोल करे राजनेता
किसान राजनेता बन जाए,
सृष्टी चक्र की अनूठी परंपरा
हम और तुम सब निभाएं,
कभी बने कोई किसान तो
कभी ठेकेदार, व्यापारी बन जाएं,
जब सबको झूकना एक दूजे के आगे
तो क्यूं हम दूसरों को सताएं,
आओ मिलकर संकल्प लें
सुख शांति से जीवन बिताएं
खुद भी जियें और दूसरों को भी जीने दें
एक दूजे की जिंदगी खुशहाल बनाएं।
Dr.Meenu Poonia