Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Oct 2021 · 1 min read

सृष्टि का सौंदर्य

———————————————–
डरना कैसा प्रेम प्रणय से!
झुठालन क्यों अन्तर की एक पूत भावना?
मुंदना कैसा आँख विनय से!
उलझना क्यों? जो प्रत्युत्तर,वही चाहना।

चाह नहीं यह सुंदरता का,रूप-देह का,
पूजा का अहसास यही है।
रक्त न केवल,न ही स्नायु बस।
जीवन का हर सांस यही है।

दो नयनों का मात्र नहीं चाक्षुष-सम्मोहन।
मुग्धा का दैहिक आकर्षण।
जलते याइवान का पागलपन नहीं समझना।
नहीं समझना मात्र इसे मेरा भौतिक मन।

विश्व बटा हर भौतिकता का शेष यही है।
कुछ अशेष यदि विश्व,व्योम में वेश यही है।

इस संगम पर प्रश्नचिन्ह मत खड़ा करो हे!
पावन मन के कंपित सुर हैं।
जीवन जितना सच जीवन में,इस तन-मन में।
जितना सच मैं उतने सच मेरे ये उर हैं।

तन से तन का,मन से मन का मधुर मिलन हो।
उर से उर का,डरना कैसा?
पौरुष ने यदि नारीत्व ने यदि किया समर्पण
अपना तन,मन। लज्जा कैसी?मरना कैसा?

शैशव के शीतल सूरज में,यौवन के इस तेज प्रहार में
आत्मसात हो जाना नर का इस नारी में घटना कैसी!
परमपिता के परम पुण्य का प्रतिफल हो या नहीं रहे यह।
नर का नारी में मदमर्दन,अहम् विसर्जन घटना कैसी?

धूध देख लो, सृष्टि का सौंदर्य यही है।
इतना होकर भी केवल आश्चर्य यही है।
—————————————————————–

Language: Hindi
Tag: गीत
264 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बारिश
बारिश
Punam Pande
मेरा नौकरी से निलंबन?
मेरा नौकरी से निलंबन?
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
Meera Thakur
" कविता और प्रियतमा
DrLakshman Jha Parimal
एहसास के सहारे
एहसास के सहारे
Surinder blackpen
पिछले पन्ने 9
पिछले पन्ने 9
Paras Nath Jha
दीपोत्सव
दीपोत्सव
Bodhisatva kastooriya
टमाटर के
टमाटर के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
सूरज की किरन चांद की चांदनी.. ...
सूरज की किरन चांद की चांदनी.. ...
shabina. Naaz
इस सियासत की अगर मुझको अक्ल आ जाए
इस सियासत की अगर मुझको अक्ल आ जाए
Shweta Soni
"मियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला  गुजरता अनेक गलियों से ,
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला गुजरता अनेक गलियों से ,
Neeraj kumar Soni
#ऐसे_समझिए…
#ऐसे_समझिए…
*प्रणय*
श्याम-राधा घनाक्षरी
श्याम-राधा घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
दिव्य बोध।
दिव्य बोध।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
3 *शख्सियत*
3 *शख्सियत*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कविता की महत्ता।
कविता की महत्ता।
Rj Anand Prajapati
छोड़कर जाने वाले क्या जाने,
छोड़कर जाने वाले क्या जाने,
शेखर सिंह
देख लो आज़ उसकी चिट्ठी आई है,
देख लो आज़ उसकी चिट्ठी आई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पायल
पायल
Kumud Srivastava
थियोसॉफिकल सोसायटी की एक अत्यंत सुंदर *यूनिवर्सल प्रेयर* है जो उसके सभी कार्यक्र
थियोसॉफिकल सोसायटी की एक अत्यंत सुंदर *यूनिवर्सल प्रेयर* है जो उसके सभी कार्यक्र
Ravi Prakash
ज़िंदगी की सिलवटें
ज़िंदगी की सिलवटें
Dr. Rajeev Jain
4321.💐 *पूर्णिका* 💐
4321.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कम कमाना कम ही खाना, कम बचाना दोस्तो!
कम कमाना कम ही खाना, कम बचाना दोस्तो!
सत्य कुमार प्रेमी
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
क़दमों को जिसने चलना सिखाया, उसे अग्नि जो ग्रास बना गया।
Manisha Manjari
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...